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रूह बेचैन सी कोई रिश्तों में ..............

प्रीत का बंधन

मुक्तक - ज़माने बीत जाते है

नयी कसमे , नयी रस्में

बड़े हो बेवफा ........

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ठगा क्यूँ हमें आपने

प्रेम पथ

जागा हूँ रात भर मैं

भाई दूज - कलम पूजन

दीप की व्यथा

दीपावली - एक याद

दीपावली - अंतर के दीप

दीपावली - प्रेम का सन्देश

प्यार मिले तो खरीदूं

मर मर के भी लोग जिया करते है

हदों को पार कर उसको सितम की हद पे छोड़ा है

अँधेरे में दिया कोई किसी ज्योति से जलता

Do Pal Ruka khwabon Ka Karwan - Veer Zara

चुभा काँटा मुझे - Chubha kaanta mujhe tha .....

Jante hai is sawal ka jawab ........