प्रीत का बंधन




तुम्हारी प्रीत का बंधन* अभी तक है नहीं टूटा

तेरा रिश्ता मगर मुझसे* अभी तक है नहीं रूठा 

निचोड़े है उजाले भी *किन्ही बंजर सी रातों से 

अँधेरे से मेरे दिल में *उजाला क्यूँ नहीं फूटा 
 
Sagar Suman

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