चुभा काँटा मुझे - Chubha kaanta mujhe tha .....


किसी की बात से कोई सदा बहका ही करता है
वही इक फूल था मैं जो सदा महका ही करता है 
चुभा काँटा मुझे था पर कोई रोया बहुत उस दिन 
अँधेरे में दिया कोई किसी ज्योति से जलता है 
                              आशीष ( सागर सुमन ) 


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